सुख वैभव को छोड़कर
उसने खड़ग धारी थी
जिसने अंग्रेजों को तबाह किया
एक अकेली नारी थी……
कितनी पीड़ा आयी
कितने दुःख का पहाड़ गिरा
खुद को निसहाय नहीं समझा
आगे बढ़ कर वार किया……
पवन नामक अश्व पर चढ़ वो पवन से बातें करती थी
पूरी अंग्रेजों की फ़ौज भी उस नारी से डरती थी
साथ नहीं दिया किसी ने अकेले बलदाएं थामी थी
एक अकेले दम पर उसने सबको धूल चटायी थी..
देखा कौशल देखी कलाएं
कैसी विधा उसने पायी थी
उसके तलवार के आगे सबने मुँह की खाई थी
सभी चकित हो कर देखते नारी थी या काली थी
खूब लड़ी मर्दानी थी वो
झांसी वाली रानी थी।
- शुभम पटेल