एक ऐसा शहर जिस मे दिखावे की हसी ना हो!
एक ऐसा शहर जिस मे हम खुल कर हसे!
एक ऐसा शहर के रास्ते मे चलते वक्त हमारे कदम ना घबराये, हमारे चलने की गती ना तेज हो! बार बार चलते वक्त निर्भया कांड मन मे ना आये!
एक ऐसा शहर जो हमारे सपनो को उडान दे!
एक ऐसा शहर जो बेटी के जन्म को मान दे!
एक ऐसा शहर जो मजहबो मे ना बाटा हो, हरा, भगवा, नीला सब रंग एक हो! जैसे हमारे भारत का झंडा लहराता देख दिल गर्व से धडके!
एक ऐसा शहर जिस मे लडका और लडकी का भेदभाव ना हो! एक ऐसा शहर जिस मे बाल विवाह ना हो!
एक ऐसा शहर जिस मे बाल कामगार ना हो!
एक ऐसा शहर जिस मे कोई लडकी हुंडाबळी ना हो!
एक ऐसा शहर जो हर लडकी का सन्मान करे!
– दिक्षा गौतम इंगोले