
बेटी ऐसी शक्ती है जो हर जख्म सह सकती है,
रूढीवादी मानसिकता वालो पर एक चाटा होती है!
बेटी कमजोर नही कामयाब होती है,
कभी मासूम बच्ची जैसी हसती वो,
कभी नटखट अंदाजो से दिल मै बसती है!
अपने कर्तव्य खुब तरहा निभाती है,
अपने बुद्धि,प्रतिभा को भी दर्शाती है,
बेटी ऐसी शक्ती है जो तुफानो से भी लढती है!
देख सकती है सब कुछ पर कुछ कह नही सकती,
आंखो मे भरे होते है सपने उसके….
सपनो के खातिर, हजार मुश्किलो मे भी खुदको संभालती!
आज का युग पड रहा बेटी पर भारी,
रेप, छेडछाड, ॲसिड अटॅक,
इनमे नष्ट हो रही है, इंसानियत सारी!
संभाल कर घर सारा, साथ देती वो उम्र भर का,
फिर भी भेदभाव करते हो यु तुम लडकी – लडके का,
क्या दोष है इनमे बेटी का?
निपुण तो है वो हर काम मे,
नौकरी भी करती, संभालकर चुल्हा-चौका….
खुशियां अपने साथ लाती है,
दिल मे दर्द समाये, हर दम मुस्कुराती है!
सारे रिश्ते खुब निभाती है,
कभी कभी छोटी बातो पर भी आसू भर लाती हैं…
आत्मविश्वास और सरलता से मन मोह लेती है,
जितनी अपने कर्त्यव्यो के प्रती ठाम रहती है,
उतनी ही मजबुती से खुद संभलती है!
बेटी जन्मे जिस घर,
खुशीयाली से भर जाता है वो घर ,
…….हा बेटी हू, कोई बोझ नही,
जिना चाहती हू,जिकर बताऊंगी,
मे बेटी धूल नही किसिके पैरो की…
आस्मान छुने वाली पंछि,
आस्मान छुकर बाताऊंगी!!
~ किरण कांबळे
विभाग – नाशिक
My eyes were full.. while reading it
Great siso! its very nice article and it also help in women empowerment.
Proud of you kk
Thank you guys ❤
I proud of you kk jannn
Very nice…